तुम क्या जानो ….
तुम क्या जानो …….
कुछ भी लिखना
कहाँ है आसान
कलम तो चाहती है
हर वक्त मचलना
शब्दों में भी तो
तड़प होनी चाहिए
बँधने की एक सूत्र में
अहसासों को भी
कुछ तो चाहत हो
बरस जाने की
जज्बात भी तो
चाहें वजूद अपना
किसी कोरे कागज पर
उतारना , तभी तो
कलम का चलना
होगा सार्थक और
बन पड़ेगा कुछ
रोचक सा जिसे
ये दिल चाहता हो
बयान करना तुमसे
और तुम कह देते हो
इसको वाहियात
समय की बर्बादी
तुम क्या जानो
ये तो अब शामिल है
मेरे उन अजीजों में
जो मुझे हरवक्त देते हैं
अहसास मेरे जिंदा होने का
तुम क्या जानो ये सब !!
सुन्दर भावनाएं.