कविता

चंद हाइकु

1
प्रत्येक बूँद
अहमियत बड़ी
आँखें न मूँद ।

2
बुरी है अति
क्रोध घमंड प्यार
मरती मति ।

3
अस्तित्वहीन
झुलस गए रिश्ते
शक से सुन्न ।

4
सुन रे मीत
बरखा का संगीत
निभाओ प्रीत ।

5
कराही धरा
मेघ का मरहम
ज़ख्म है भरा ।

6
खामोश शब्द
मृत संवेदनाएँ
झरते नैन ।

7
वक़्त परिंदा
आए न फिर हाथ
जी ले जी भर ।

8
दूर सपने
तलाशते ही रहे
खुद अपने ।

9
ख्वाब देखती
दरदर भटकी
बूढ़ी अंखियाँ ।

10
टूटते ख्वाब
मन हुआ उदास
गैर ही तो थे ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

6 thoughts on “चंद हाइकु

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya ajeet pathak ji ,,,,,,hmmmm

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya keshav ji

  • गुंजन अग्रवाल

    thnx vijay sir ji

  • अजीत पाठक

    हाइकु अच्छे हैं. हालांकि इनको समझना टेढ़ी खीर है.

  • केशव

    सुन्दर

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी हाइकु कवितायेँ.

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