कविता

मुक्तक

1

सौरभ के संग खिलते सुमन।
बौराए मधुप करे गुन गुन ।
गुलशन में आयी बहार मस्त
कुहू कोकिल गाये मस्त धुन

2
रिश्तो में सद्भावना प्रेम बना रहे इतना ही काफी है।
भाव विह्वल हो एक दूजे से मिलते रहे इतना ही काफी है।
नहीं रह सकता हर कोई, हर समय हर किसी के साथ
याद करके भावाभिव्यक्ति करते रहे इतना ही काफी है।

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

5 thoughts on “मुक्तक

  • अजीत पाठक

    मुक्तक साधारण हैं. इनमें और अधिक गहराई होनी चाहिए.

    • शान्ति पुरोहित

      आपकी बात का ध्यान रखूंगी.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे मुक्तक. पहला मुक्तक अधिक सरस है.

    • शान्ति पुरोहित

      धन्यवाद, भाई जी.

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया मुक्तक. पहला मुक्तक अधिक सरस है.

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