अति मौसम बिगड़ैल है , पवन चले घनघोर
मेघ गरजे उमड़-घुमड़ , सिन्धु मचाये शोर
सिन्धु मचाये शोर , कलेजा गरीब के कटे
चिन्तन में जल रहे ,कच्ची दीवार न मिटे
मौत लगे आसन्न , मस्ती हो जाती सती
सावन की है बात , होती है बरसात अति
"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है"
शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ
8 thoughts on “कुंडलिया छंद”
यह कुंडली है ही नहीं.
कृपा कर मार्ग दर्शन कीजिये
कुछ समझ में नहीं आया , कृपा दुबारा लिखने का कष्ट करें , रानी बहन बुरा नहीं मनाना , मेरी हिन्दी कुछ कमज़ोर है . आप दुबारा लिखेंगी तो आप का धन्यवादी हूँगा .
कोई बात नहीं, समझ समझ का फेर है.
कृपा कर मार्गदर्शन कीजिये ….. आभारी रहूंगी
आपने कुंडली छन्द लिखने की कोशिश की है. परन्तु उसमें पूरी तरह सफल नहीं रहीं. इसमें अंतिम चार पंक्तियों का छन्द कुंडलियों जैसा नहीं है. सुधार कीजिये.
कुंडलिया छन्द समूह में अभी सीख रही हूँ …. वहाँ पोस्ट की तो किसी ने कुछ नहीं कहा तो यहाँ पोस्ट कर दी …. चार पंक्तियों के लिए सलाह की आकांक्षी हूँ …
यह छंद इस प्रकार लिखा जा सकता है-
मौसम अति बिगड़ैल है, पवन चले घनघोर
मेघ गरजें उमड़कर, सिन्धु मचाये शोर
सिन्धु मचाये शोर, गरीब की फटती छाती
गिरे न कच्ची भीत, यही चिंता है खाती
मौत लगे आसन्न, टूट जाता है दमखम
सावन की बरसात, नहीं भाता यह मौसम
यह कुंडली है ही नहीं.
कृपा कर मार्ग दर्शन कीजिये
कुछ समझ में नहीं आया , कृपा दुबारा लिखने का कष्ट करें , रानी बहन बुरा नहीं मनाना , मेरी हिन्दी कुछ कमज़ोर है . आप दुबारा लिखेंगी तो आप का धन्यवादी हूँगा .
कोई बात नहीं, समझ समझ का फेर है.
कृपा कर मार्गदर्शन कीजिये ….. आभारी रहूंगी
आपने कुंडली छन्द लिखने की कोशिश की है. परन्तु उसमें पूरी तरह सफल नहीं रहीं. इसमें अंतिम चार पंक्तियों का छन्द कुंडलियों जैसा नहीं है. सुधार कीजिये.
कुंडलिया छन्द समूह में अभी सीख रही हूँ …. वहाँ पोस्ट की तो किसी ने कुछ नहीं कहा तो यहाँ पोस्ट कर दी …. चार पंक्तियों के लिए सलाह की आकांक्षी हूँ …
यह छंद इस प्रकार लिखा जा सकता है-
मौसम अति बिगड़ैल है, पवन चले घनघोर
मेघ गरजें उमड़कर, सिन्धु मचाये शोर
सिन्धु मचाये शोर, गरीब की फटती छाती
गिरे न कच्ची भीत, यही चिंता है खाती
मौत लगे आसन्न, टूट जाता है दमखम
सावन की बरसात, नहीं भाता यह मौसम