कविता

शहीद दिवस

उदयपुर के एक नौजवान कवि हैं “आशीष देवल” जी….उनकी ये रचना मुझे बहुत पसंद है…आज कारगिल शहीद दिवस है सो साझा कर रहा हूँ- –

सीमा पे एक जवान जो शहीद हो गया,
संवेदनाओं के कितने बीज बो गया,
तिरंगे में लिपटी लाश उसकी घर पे आ गयी,
सिहर उठी हवाएँ, उदासी छा गयी,
तिरंगे में रखा खत जो उसकी माँ को दिख गया,
मरता हुआ जवान उस खत में लिख गया,
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है,
तुझको कसम है माँ मेरी की रोना नहीं है।

मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना,
कंधे पे बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना,
पगडंडियों की खेतों पे मैं तेज़ भागता,
सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता,
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया,
सोचा था तूने और ही , कुछ और हो गया,
मुझसा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है,
तुझको कसम है माँ मेरी की रोना नहीं है।

सोचा था तूने अपने लिए बहू लाएगी,
पोते को अपने हाथ से झूला झुलाएगी,
तुतलाती बोली पोते की सुन न सकी माँ,
आँचल में अपने कलियाँ तू चुन न सकी माँ,
न रंगोली बनी घर में न घोड़े पे मैं चढ़ा,
पतंग पे सवार हो यमलोक चल पड़ा,
वहाँ माँ तेरे आँचल का तो बिछौना नहीं है,
तुझको कसम है माँ मेरी की रोना नहीं है।

बहना से कहना राखी पे की याद ना करे,
किस्मत को न कोसे कोई फरियाद न करे,
अब कौन उसे चोटी पकड़कर चिढ़ाएगा,
अब कौन भाई-दूज का निवाला खाएगा,
कहना के भाई बन कर अबकी बार आऊँगा,
सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊँगा,
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है,
तुझको कसम है माँ मेरी की रोना नहीं है।

सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी,
चौराहों पे तुझको तमाशा बनाएगी,
अस्पताल, स्कूलों के नाम रखेगी,
अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी,
पर दलाओं की दलाली पे तू थूक देना माँ,
बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना माँ,
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है,
तुझको कसम है माँ मेरी की रोना नहीं है।

6 thoughts on “शहीद दिवस

  • धर्म सिंह राठौर

    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद, गुरमेल सिंह जी इस सरकार से बहुत उम्मीदें है की ये शहीदों को सम्मान जरूर देंगे

  • धनंजय सिंह

    बहुत प्रेरणा देने वाली कविता है.

  • जगदीश सोनकर

    बहुत अच्छी कविता लिखी है रावल जी ने.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    धरम सिंह जी , जो आशीष देवल जी की रचना को आप ने पेश किया है बहुत ही अच्छा किया है . इन शहीदों को वजह से ही आज हम चैन से रात को सोते हैं . हमारे दिलों में वोह हमेशा रहेंगे लेकिन हमारी सरकार को भी शहीद हुए जवानों की विधवाओं और उनके बच्चों की पुरी मदद करनी चाहिए .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक रचना. प्रस्तुत करने के लिए आभार !

Comments are closed.