विविध

नाटक : आत्महत्या

मुख्य कलाकार :

कांस्टेबल रामसिंह

सब इंस्पेक्टर काम्बले

सूबेदार मेजर रावत

डिप्टी कमांडेंट सिंह

कमांडेंट देवेन्द्र

सेकंड इन कमांडेंट यादव

डॉक्टर कृष्णकुमार – साय्कोलोजिस्ट

प्रारम्भ

स्टेज पर पर्दा उठना

 

सीन एक :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : ऑफिस का कोरिडोर

 

स्टेज पर कांस्टेबल रामसिंह आता है और अपने एक साथी से जोश में हँसते हुए कहता है  “ अहा अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , अब घर जाऊँगा और माँ की गोद में चैन के कुछ दिन  बिताऊंगा “  और वो दोनों दुसरे दरवाजे से चले जाते है !

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन दो  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : ऑफिस का कोरिडोर

 

स्टेज पर सूबेदार मेजर रावत आता है और अपने एक दोस्त से कहता है , “ अहा अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , कितने महीने हो गए है , मैंने अपनी प्यारी सी बीबी की सूरत नहीं देखि है. इस बार तो मैं चांदनी को सरप्राइज दूंगा, उसे तो बताया ही नहीं कि मैं आनेवाला  हूँ  “  दोस्त हँसता है “ हां यार तेरी तो नयी नयी शादी जो हुई है … हा हा ..” और वो दोनों हँसते हुए दुसरे दरवाजे से चले जाते है !

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन तीन  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : ऑफिस का कोरिडोर

 

स्टेज पर सब इंस्पेक्टर काम्बले  आता है और अपने आप से उदास और ख़ुशी दोनों के स्वर में कहता है  “अब मुझे छुट्ठी मिल गयी है , यहाँ से मुक्ति तो मिली , इस डिप्टी कमांडेंट ने तो जीना हराम किया हुआ है. कुछ दिन अपने घर में दोस्तों और भाईयो के साथ रहकर ज़िन्दगी के मजे लूँगा “

और वो दुसरे दरवाजे से जाने लगता है , तभी दुसरे दरवाजे से डिप्टी कमांडेंट सिंह आता है और उससे कहता है , “ क्या रे सुना है , अपने घर जा रहा है ,”

उसे देखकर काम्बले उसे सेल्यूट करता है और सावदान की मुद्रा में खड़ा हो जाता है और कहता है , “जी श्रीमान “

सिंह उसके कंधे पर हाथ मारकर बोलता है, “ अबे तो यहाँ कौन रहेंगा ? कौन हमारा ख्याल रखेंगा ? तू साले नीच जाती का आदमी ,  हम ठाकुरों को सीखायेंगा कि लड़ाई कैसे करना और क्या करना है ?”

काम्बले कुछ धीमे स्वर में अपने गुस्से को दबाते हुए कहता है “ साब , मुझे देरी हो रही है , जाने दीजिये “

सिंह “ ठीक है जा , आना तो तुझे यही है . तब देखता हूँ “

काम्बले सर झुका कर दरवाजे से चला जाता है

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन चार  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : ऑफिस का एक कोना

 

स्टेज पर कमान्डेंट देवेन्द्र और सेकंड इन कमान्डेंट यादव बैठे है . दोनों के बीच में मेज लगी हुई है  और दोनों दोस्त ड्रिंक्स ले रहे है  .

देवेन्द्र “ यार यादव , मैंने तो बहुत से जवानो और ऑफिसर्स की छुट्टियां मंजूर की है . सब अपने घर जाए और खुशियाँ लेकर आये , बस यही दुआ है “

यादव  “ हां देवेन्द्र , सच कहा , मैं तो इन आत्महत्याओं से दुखी हो गया हूँ “

देवेन्द्र “ मैं उम्मीद करता हूँ की जल्दी ही हम इन बातो को रोक सकेंगे ”

देवेन्द्र “ मैंने एक सायाकोलोजिस्ट को बुलाया है , वो आने के बाद हमारे कैम्प पर सबकी एक वर्कशॉप लेंगे , इससे बहुत से फायदे होने की संभावना है ,  शायद जवानो ने छाया हुआ डिप्रेशन ख़त्म हो जाए “

यादव “ अमीन  मेरे भाई “

देवेन्द्र “ अमीन “

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन पांच   :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : गाँव के एक घर का सेट .

 

एक चारपाई और दो तीन मुढे . चारपाई पर रामसिंह की माँ बैठी हुई है . एक मुढे पर उसकी बीबी बैठी है और दुसरे पर खुद राम सिंह .

माँ “ भाई राम , तू तो अपनी जोरू को ले जा अपने साथ  ये रोज रोज के झगडे हमें नहीं चाहिए , कभी किसी बात पर लढाई , तो कभी किसी बात पर झगडा , नहीं बेटा नहीं चाहिए बुढापे में ये दुःख “

बीबी , “हमें कौनसा यहाँ रहना है , रोज का तकाजा , रोज के ताने , जैसे यदि आपने ब्याह कर नहीं लाया होता तो मैं कुंवारी ही बैठी रह जाती . अरे कोई कितना सहेंग , हमारे भी दुख है  . लेकिन रोज की लड़ाई , देखो जी , या तो चौका अलग कर लो , हमें अलग घर ले दो , नहीं तो मैं अपने घर चली”

रामसिंह “ अरे चुप हो जाओ तुम दोनों , जब से आया  हूँ , यही सब सुन रहा हूँ . दो दिन की शान्ति नहीं मिली मुझसे . मैं वह काम करूँ या तुम दोनों के झगडे सुलझाऊ !”

तीनो मिलकर बहुत सी बाते एक साथ करने और आपस में लड़ना शुरू कर देते है .

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन छह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

घर में एक पर्दा लगा हुआ है . बाहर दरवाजे पर रावत खड़ा है और खुद से कह रहा है, “ आज मैं चांदनी  को ऐसा सरप्राइज दूंगा कि वो याद रखेंगी  “

सूबेदार रावत चुपचाप अपने घर में घुसता है और एकदम से चिल्लाता है “ आय लव यू चांदनी “ मैं आ गया “ ऐसा कहते हुए वो भीतर घुसता है तो देखता है कि उसकी पत्नी चांदनी उसके दोस्त रवि  के साथ बैठी है . रावत को देखकर दोनों घबरा जाते है . और रवि जाने लगता है . रावत को पहले तो कुछ समझ नहीं आता है और फिर वो समझ जाता है कि उसकी पत्नी चांदनी ने उसे धोखा दिया है .

वो आँखों में आंसू लिए पूछता है , “ क्यों चांदनी , क्यों , ऐसा किया . मेरे प्रेम में क्या कमी रह गयी . देखो , इस बार मैंने पूरे २० दिन की छुट्टी लेकर आया था , लेकिन तुमने मुझे धोखा देकर अच्छा नहीं किया . वो भी मेरे सबसे अच्छे दोस्त रवि के साथ ! धिक्कार है तुम पर . “

चांदनी , “ सुनो मुझे माफ़ कर दो जी , अब ऐसी गलती नहीं होंगी जी “

लेकिन रावत घर से निकल जाता है . और चांदनी रोती हुई बैठी रह जाती है .

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन सात  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक होटल का सेट

काम्बले अपने दोस्त मोहन के साथ बैठा हुआ है और चाय पीते हुए उससे अपनी बात कह रहा है .  यार मोहन , मेरी पोस्टिंग इस जगह में हो क्या गयी , मेरी ज़िन्दगी नरक बनी हुई है . एक डिप्टी  कमान्डेंट सिंह मुझे रोज तंग करता है , रोज मुझे नीचा दिखाता है , सिर्फ इसलिए कि मैं  दलित हूँ और मैंने एक ट्राइबल कैंप ट्रेनिंग के दौरान गुरिल्ला फाइट सीखा हुआ है और वो मैं सभी को सीखना चाहता हूँ , बस ईसिस बात पर हमेशा मुझे नीचा दिखाता है , कभी कभी सबके सामने ही लताड़ देता है.

मोहन “ उसकी शिकायत तो करो . “

काम्बले , “नहीं यार शिकायत करने से मुझ पर ही गाज गिरेंगी , उसका ओहदा मुझसे बड़ा है . मैं ही कुछ करता हूँ “

दोनों दोस्त चुपचाप चाय पीते है

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन आठ   :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर राम सिंह चुपचाप बैठा हुआ है और अपने आप से बाते कर रहा है . “ये क्या ज़िन्दगी है. जिनके लिए कमाता हूँ वही आपस में इतना लड़ते है . बाज आया ऐसी ज़िन्दगी से . मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन नौ  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रावत पागलो की तरह ड्रिंक्स ले रहा है और अपने आप से बाते कर रहा है “ मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है . आखिर मेरा कसूर क्या है . मैं उसे कितना प्यार करता था अब क्या जीना .. मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन दस :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर काम्बले अपने दोस्त से कहता है  “मैं इस मामले को वहां जाकर सुलझाता हूँ . मैं कल ही कैम्प में लौट जाता हूँ !”

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन ग्यारह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रामसिंह अपनी वर्दी में चुपचाप बैठा है और फिर अचानक ही सर हिलाते हुए अपनी रायफल से खुद को शूट कर देता है !

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन बारह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : एक कमरे का सेट

स्टेज पर रावत पागलो की तरह पी रहा है और फिर अपनी रिवाल्वर निकाल कर खुद को शूट कर देता है .

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन तेरह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान :ऑफिस का सेट

स्टेज पर काम्बले को सिंह डांट रहा है, और दोनों में तेज झगडा होता है . काम्बले, सिंह की वर्दी के होल्स्टर से रिवाल्वर निकाल कर खुद को शूट कर देता है

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन चौदह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : ऑफिस का कोना

ऑफिस की मेज पर देवेन्द्र और यादव दोनों बैठे हुए है . चुपचाप ड्रिंक्स ले रहे है .

देवेन्द्र “ मुझे समझ में नहीं आता है कि मैं क्या करू , कितना कोशिश करता हूँ ,कि जवानो का मोरल डाउन नहीं हो , लेकिन ये हो जाता है और ये देखो , एक नहीं तीन तीन आत्महत्याए . ऊपर से इन्क्वारी के ऑर्डर्स अलग से .

यादव “ कल वो साय्कोलोजिस्ट आ रहा है .उसी को कहेंगे कि इन जवानो को कुछ समझाए “

[ स्टेज पर लाइट बुझता है ]

 

सीन पंद्रह  :

[ स्टेज पर लाइट जलता है ]

स्थान : मैदान का सेट

स्टेज पर कुछ कुर्सियां है और एक माईक है जिस के पास डॉक्टर का चोला पहने डॉ. कृष्णकुमार खड़े है . पास के कुर्सियों में देवेन्द्र, यादव और कुछ और ऑफिसर बैठे हुए है .

डॉ. कृष्णकुमार कहते है ,” आप सभी जवानो को मेरा सलाम . मैं दिल से आपके शौर्य की हौसला-आफजाई करता हूँ और ये बात मैं मानता हूँ कि आप सभी यदि हमारे बॉर्डर्स पर नहीं होते तो आज हम चैन की नींद नहीं सो पा रहे होते . सलाम आपको .

लेकिन आज मैं एक बात कहने आया हूँ और ये बात हम सभी को बहुत चिंतित कर रही है . वो बात है . आपके साथियो के द्वारा आत्महत्या कर लेना . देखिये एक डॉक्टर के होने के नाते मैं आप सभी से ये कहना चाहूँगा कि ये प्रवर्ती बहुत खतरनाक है . आत्महत्या कर लेने से कोई भी समस्या का हल नहीं होता . मैं मानता हूँ कि पारिवारिक , सामाजिक और यहाँ तक की अपने सीनियर्स के द्वारा प्रताड़ना पाना और कष्टदायक हालात में रहना बहुत दुखदायी है लेकिन मेरी मानिए , आत्महत्या करना कोई भी समाधान नहीं है . आपकी आत्महत्या से आपकी कहानी ख़त्म हो जायेंगी , लेकिन जो परिवार आप पर निर्भर है , उसका क्या . उन के बारे जरा सोचिये और इस तरह के नेगेटिव ख्यालो से बचिए . अपने ऑफिसर्स से बात करिए और अपने प्रोब्लेम्स का समाधान लीजिये . लेकिन आत्महत्या न करे. यही मेरी आपसे विनंती है क्योंकि देश को और आपके परिवार को आपकी जरुरत है .

आईये अपने अकेलेपन को दूर करिए . मैं आपको ये कहना चाहूँगा कि अलग अलग एक्टिविटी में भाग लीजिये , अपने साथियो के साथ खूब सारी बाते करिए , ,परिवार और दोस्तों के साथ खूब बाते करिए , शराबा तथा अन्य ड्रग्स से दूर रहिये . रेगुलरली योग तथा दुसरे कसरते करे . दौड़े , मैडिटेशन करे . और अपने आप को किसी क्रिएटिव कार्य में लगाए . और हां गाना बजाना न भूले. संगीत जीवन के डिप्रेशन का सबसे बड़ा हल है . अब तक पिछले दस सालो में करीब ३०० से ज्यादा जवानो ने आत्महत्या की है . आप उस राह पर न चले यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है . आप सभी का दिल से धन्यवाद ! याद रखिये आत्महत्या करना , अपने आप के प्रति और और अपने परिवार के प्रति  और अपने भगवान के प्रति पाप है . जीवन सुन्दर है . इसे भरपूर जिए . यही मेरी मंगलकामना है आप सभी के लिए . एक बार और से आप सभी को प्रणाम और धन्यवाद .

 

स्टेज पर पर्दा गिरना

 समाप्त 

One thought on “नाटक : आत्महत्या

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा और प्रेरणादायक नाटक, विजय कुमार सप्पत्ति जी. बधाई !

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