गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )
गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )
जब से बेटे जवान हो गए
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए
किस्से सुन सुन के संतों के
भगवान भी हैरान हो गए
आ धमके कुछ ख़ास विदेशी
घर वाले मेहमान हो गए
सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
गाँव गली श्मशान हो गए
कैसा दौर चला सदन में
कुश्ती के मैदान हो गए
बिन माँगें सब राय दे दिए
कितनों के अहसान हो गए
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
बहुत अच्छी ग़ज़ल.