कविता

कभी सोचा न था

 

मुझे तुम इस तरह से समझे
जैसे हो तुम
कोई मेरे अपने

बस ख़्वाब में तुम्हें
देखता आया था
लिये हुए
अनेक आकार धुंधले

कभी सोचा न था
इस तरह स्वयं चलकर
मिल जाओगी आकर मुझसे
मरुथल सी इस दुनिया में
बन मृदु और मीठे जल के
असंख्य झरने

अब छोड़ कर चल न देना
मुझ तन्हा पथिक के संग रहना
ताकि साकार हो जाए
मेरे जीते जी सारे सपने
ओ..मेरे अपने

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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