सुख शान्ति और आनंद
रश्मियों की स्वर्णिम पत्तियों से
आच्छादित है विचारों के बादल
झांकता
मन के अम्बर के सतरंगे झरोखों से
ममता का एक सुनहरा आंचल
फिर
झरते बूंदों के स्नेह -पूरित
शब्दों के स्पर्श से
नाच उठता हर आँगन
तुम चाहती हो
सब के हिरदय -सरोवर
अमृत -जल से भर जाएँ
प्रेम -कमल खिलाये सुन्दर
समय के मौसम का
प्रति पल ….बन सावन
तुम चाहती हो
बहुरंगी सुमनों
के सुगंध और रंग से
महकते ….
इस सम्पूर्ण मानव -जीवन
के वन मे
छाये रहें .सदैव …
सुख शान्ति और आनंद
किशोर कुमार खोरेंद्र
अत्ति सुन्दर .
thank u gurmel ji