कविता मुक्तक *विभा रानी श्रीवास्तव 27/12/2014 नव प्रवाह / धनक का धमक / जीत का ज्वल हिय हर्षित / नीति रीति उज्ज्वल / जीव विह्वल छटा कोहरा / जगी दबी इच्छायें / आस निहारे स्वप्न धवल / ख्यालों-मुंडेरों सजे / वर्ष नवल
चार हाइकु मिलकर बना है यह मुक्तक ! वाह !