कविता

क्षणिका

लम्बी जिन्दगी में छोटी छोटी बातें होती रहती है …..

सबका नजरिया अलग तो सोच अलग …..

हम तो वही करेंगे जो हमें उचित लगे …..

खुद को
खुश रखने का वादा
खुद से खुद जो किया है ….

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “क्षणिका

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      शुभ प्रभात …. शुक्रिया …

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