स्कूल के एग्जाम
याद है जब स्कूल मेँ एग्जाम होता था?
दिमाग का पुर्जा पुर्जा तब जाम होता था।
ना रात मेँ नीँद ना दिन मेँ चैन होता था ,
पास फेल के चक्कर मेँ टीवी पर बैन होता था।
अंग्रेजी का परचा जब खस्ताहाल करता,
पैसेज का मैसेज अपना हाल बेहाल करता
फिर नौ दस दिन गैप मेँ ऐश ऐँसी होती,
सर्दी और गर्मी की छुट्टियोँ जैसी होती
फिर पेपर मैथ्स का जो आता था विकट
इसमे ही सबसे ज्यादा कटते थे टिकट
थियोरम के चक्कर मेँ पाइथोगोरस हारा,
ए बटा बी करके पप्पू लटका था बेचारा,
दो दिन फिर बडा आगे कैमिकल लोचा था,
विज्ञान के धरातल को अपने दिमाग से करोँचा था
साइंस का रट्टा तो अबतक जैसे याद है,
एल्काहोल का नंबर एचटूओ के बाद है,
फिर आती संस्कृत के पेपर की छुट्टी,
कमलानि विकसंति बना जनम घुट्टी,
सच कहूँ इस छुट्टी मेँ पढता ही कौन था,
वेदभाषा के नाम पर केवल एक मौन था,
दो दिन फिर काटे सामाजिक रट रटकर,
राजनीति इतिहास भूगोल चाटे डटकर,
फिर आखिरी मेँ प्यारी हिँदी का दिन आता,
मैँ गा गाकर कविता सारे घर को था सुनाता,
कहानियाँ पढने मिलतीँ बस एक दिन के गैप मेँ,
हिँदी की तो जगह ही नहीँ थी एग्जाम के मैप मेँ,
पेपर छूटते ही क्रिकेट का फिर तामझाम होता था,
याद है जब स्कूल मेँ एग्जाम होता था।
___सौरभ कुमार
(To my all dearest school friends)
रोचक कविता !