कविता

साथी पेड़ लगाना

साथी पेड़ लगाना 
साथी पेड़ लगाना
साथी  रे
एक अकेला थक जाएगा 
मिलकर पेड़ लगाना, साथी पेड़ लगाना 
जंगल हमारे नष्ट हो रहे 
सूख रही है,धरा हमारी 
वाहनों और कारखानो का धुआँ,
जन जन में फैली है बीमारी ,
कर रहा वातावरण प्रदूषित
आओ इसको स्वच्छ बनाये
सब मिल कर कदम बढ़ाएं, 
साथी पेड़ लगाना –साथी रे   
 
उद्द्योग और घरों  की गंदगी
कर रही हमारी नदियों को दूषित
बिखरा पड़ा है  कचरा ही कचरा
आओ सब मिल कर कदम बड़ाएँ
 देश व्यापि सफाई अभियान में
आओ सब मिल कर जुट जाएँ, 
स्वच्छ और सुंदर हो धरती 
सुन्दर  हर गाँव-शहर बनाएँ
साथी पेड़ लगाना –साथी रे   
गंदी गंदी आदत छोड़ो 
अच्छी आदत को अपनाओ,
कचरा इधर-उधर ना फेंको,
नियत स्थान पर पहुँचाओ, 
कल की बात पुरानी,
अच्छी आदत डालो
बड़े-बड़े सब महल बनाते 
नई नई  इमारते बनाते ,
पर अब तो वृक्ष लगाओ, 
प्रदुषण को दूर भगाओ, 
वसुंधरा को हराभरा बनाओ
मिलकर वृक्ष लगाओ 
 
साथी पेड़ लगाना,  साथी रे
 
जब जाएँ सौदा खरीदने 
घर से थैला ले कर जाएँ
प्लास्टिक बैग की आदत छोड़ के, 
कागज़, कपडा अपनाएं, 
भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाएं ,
मिल कर सब सहयोग करे ,
वृक्ष ही वृक्ष लगाएं,
स्वच्छ हवा और सुख की छाया का,
मिलकर लाभ कमाएं,
 
साथी पेड़ लगाना साथी रे
मिलकर पेड़ लगाना साथी रे
साथी पेड़ लगाना साथी रे
एक अकेला कर ना सकेगा
मिल के हाथ बटाना
साथी पेड़ लगाना साथी रे
 
सारे जहाँ मे अच्छा 
यह गुलिस्तां हमारा , हमारा ,
— अरविन्द कुमा

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

2 thoughts on “साथी पेड़ लगाना

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा प्रेरक गीत , कभी मेरी आवाज़ वापिस आ गई तो अवश्य इसे गाऊंगा.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत. पर्यावरण की प्रेरणा देता हुआ मोहक गीत ! अरविन्द जी को साधुवाद !

Comments are closed.