कविता

तुमने आज आकाश से

तुम्हारे संग घूमता रहा सारा दिन

कभी सड़कों पर ,कभी लहरों के बीच

तुमने बहुत सी बाते बतायी

अपने बचपन की

अपने यौवन की जब तुम

पुष्प सा गयी थी खिल

मैं कभी तुम्हारे हो जाता बहुत समीप

कभी तुम्हारी परछाई से ,अपनी परछाई कों देखता

कितने गए हैं वे …घुल मिल

कभी तुम्हारी देह की महक कों

अपनी साँसों में कर लेता

तुमसे बिना अनुमति लिये शामिल

कभी तुम्हारे मुख पर

छायी सुबह की लालिमा से अभिभूत होता

लग रहा था

तुमने आज आकाश से

लिया है छीन

एक आवारा बादल के

उड़ते हुए पतंग कों रंगीन

मेरी उंगलिया घागे थे

जिन्हें तुमने अपने हाथों से

कस के बाँध लिया था

की कही मैं टूट कर उड़ न जाऊं

अलग तन्हा …कहीं फिर

इस अन्तरिक्ष में

और हो जाऊं  विलीन

तुमसे मिले प्यार कों ..खुशी कों

फिर आजन्म आकार देने के लिये

रहूंगा  मैं सदा ..और प्रयत्नशील

किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “तुमने आज आकाश से

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना .

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