कविता

कविता– आशाओं के फूल

ये फूल खिल उठेंगे एक दिन
नव किसलय सा …
प्रभात की रश्मियों से होकर
गुजरेंगी जब …….
सच बताऊँ,कवि की कविताओं में सुन्दरता
आती है तभी…
जब मन के वसंत में फूल खिलते हैं …
एक दुनियां जिसे महसूस करती हूँ मैं ,
सुन्दर साथ सा हर वक्त …
कितने ही कविताओं की गूंज ,
जो गूंजती है मेरे आस-पास ……
मैं जानती हूँ इन्हीं फूलों के मौसम सा ,
महक उठेगा मेरे भी कविताओं का संसार …
झूम उठेंगी अनगिनत कलियाँ ,
जिनसे सजाया है मैंने, अपने सपनों के आंगन को
बरस जायेंगी एक दिन उम्मीदों के बादल,
जब मन के हर कोने में आशाओं के फूल खिलेंगे …..!!!

— संगीता सिंह ‘भावना’

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

One thought on “कविता– आशाओं के फूल

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता !

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