कविता

अरमान

उम्मीद हो अरमान हो
मेरी ज़िंदगी की मुस्कान हो
यूं रूठना ना कभी मुझसे ,
क्योंकि तुम बिन मेरी दुनिया ही वीरान है
सँजोया है एक सपना ,
वो मिलकर तुम संग हकीकत मे बदलेंगे कभी
इन्हीं उम्मीदों संग ,,,,,,
आज भी ये दिले नादान है …….!

संगीता सिंह ‘भावना’

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

One thought on “अरमान

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता!

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