“होली उत्सव”
———“होली उत्सव”————–
फागुन का महीना आया साथ में बसन्त।
एक जगह जुट गये लिए खुशियाँ अनन्त।
लगे बाटने मिलजुल कर आपस में संग।
होलिका दहन कर बुरे कर्म किये अन्त।
हो गये सब मग्न पड़ाका छोड़ने लगे संग।
होलिका मनाने में हो गया दिन का अन्त।
सब लोग गये घर होलिका का हुआ अन्त।
मन में खुशियां को लेकर सब सो गये संग।
बित गई रात हुआ सुबह का शुभ प्रभात।
दूर हुआ अंधकार हुआ आगमन प्रकाश।
किरणों के साथ हुआ दिन का शुरूआत।
चिड़ियो का चहकना हुआ बच्चों के साथ।
पुड़ी पकवान बना सभी लोगो के यहाँ संग।
होली मनाने के लिए एक जगह जुटे संग।
लाल गुलाबी पिला हरा आपस में लगे रंग।
प्रेम को बरसाने लगे लोग आपस में संग।
———रमेश कुमार सिंह ♌———
सरल शब्दों में अच्छी कविता !
बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान जी।