क्षणिकायें…
१-प्यार की कहानी
रूबरू मिलना होता नहीं ज़रूरी
बिना मिले ही
प्यार की कहानी हो जाती है पूरी
२-व्यथा
पढ़ते रहे एक दूसरी की कथा
पर
एक जैसी होती है सबकी व्यथा
३-अश्क़
तेरी आँखों से भी मेरे लिए कभी कभी आंसूं बहते होंगे
यह सोचकर मेरे अश्क भी तेरे दर्द को और सहते होंगें
४-याद
तेरी यादों के सहारे ये जिंदगी गुजर जायेगी
तेरी तस्वीर जब तब आँखों में उभर आयेगी
५-दीदार
उनकी दृष्टि से हम
गुनाह कर बैठे
बिना पूछे उनसे हम
चुपके से
उनकी तस्वीर का
दीदार कर बैठे
6-फासला
बहुत फासला तय करना पड़ा मुझे
जीत कर तेरा दिल
रस्मों रिवाज के हाथो
तुझे ……
हारना पड़ा मुझे
किशोर कुमार खोरेन्द्र
अच्छी क्षणिकाएं !
वाह वाह वाह…!! क्या बात है अति सुंदर!!