गीत/नवगीत

पुलिस चरित्र

सबने बखिया खूब उधेडी , कहा की काला पुलिस चरित्र
लेकिन क्या कभी किसी ने पूछा ,  उनका दुखड़ा बनके मित्र

हम अपने घर वालो के संग , खूब मनाते होली – ईद
पर उनको त्योहारों पर भी , घर का होता नहीं है दीद

क्यों ना सोचा उनको भी तो , आती होगी कभी तो खीज
लेकिन चुप रह जाना पड़ता , होगा अपनी मुट्ठी भीच

खुद का घर जल जाए चाहे  , औरो के घर दे पहरा
इनकी कोई नहीं है सुनता ,पोलिस वाला जो ठहरा

पंगु है अधिकारों के संग , इनकी हालत बड़ी विचित्र  ………. लेकिन

कोई मोहन चंद  है इनमे , मिटे फ़र्ज़ की वेदी पर
नाज़ हुआ सारी दुनिया को,अपनी  किरण बेदी पर

नानक चंद को भूले ओम प्रकाश कहा अब याद होगा
क्यों बिजेंद्र ,घनश्याम  ,राम पाल ,का बलिदान याद होगा

फिल्मो सबको याद बड़ी , या बैटिंग सचिन गावस्कर की
भूल गए करकरे को हम , कुर्बानी  वीर सालस्कर की

इनके बलिदानों से  बचा है , भारत देश का मानचित्र ………. लेकिन

बड़ा बखेड़ा हो जाये, गर इनसे चल जाए गोली
इनकी हत्या पर न पूछे , इनकी जान किसने , क्यूँ ली

आतंकी मारे तो भी , फर्जी मुठभेड़ बताते है
क्या फर्जी मुठभेड़ो में, कोई शहीद हो जाते है

रोक भी ले तो शोर मचे , कैंडल मार्च , पट्टी काली
सब चुप रहते कोई इन्हें चाहे दे दे भद्दी गाली

सबके पास मिलेगी , इनकी , कमियों की लम्बी फेहरिश्त ………. लेकिन

मनोज”मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.

One thought on “पुलिस चरित्र

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया गीत ! एक तरफा विचार हमेशा खतरनाक होते हैं.

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