पारिवारिक यथार्त हास्य[कविता]
[पारिवारिक यथार्त हास्य ]
पति बोला
पत्नी से
बड़ी उम्र है तेरी /
याद अभी मै
कर रहा
मिस काल मे
न की देरी,//
मेरे बच्चों की
प्यारी मम्मी
हो कितनी
अलबेली ///
सूरज चंदा
और सितारे
गुणगान
करत हैं तेरी,,////
गुलशन के
गुल-गुल मे
बसता प्यारा
नाम तुम्हारा ,///
संभल कर
रहना गोरी तुम
जब गुल-गुल
हुआ तुम्हारा/////
तरु की
पत्ती-पत्ती झूमे ,
झूमे
बाग-बगीचा ///////
मेरे दिल मे
तूही झूमे
यादों का
वह दरीचा,,/
उपवन का
माली जब तोड़े
गुलशन
फूल फुलाईया
कलियाँ भी
पथ भूल गयी हैं
कैसी
भूल भूल्लाईया
राज किशोर मिश्र ‘राज’
27/05/2015
हा हा हा बढ़िया
आदरणीय जी आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार
wah
अरुण निषाद जी आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार