कैसे नमन करूं जगमोहन..?
कैसे नमन करूं जगमोहन
तेरी मूरत पाट की,
कैसे तरणी पार लगाऊं
गगरी फूटी घाट की..!
मेरे तो तुम ही गिरधारी,
मुरली-तान लगाने वाले,
बांस-वास से मैं अनभिज्ञ,
डाली तोड़ी काठ की..!
तुमने अपने प्रेम रास से,
राधा को बहकाया,
बहकी मैं भी आज बाँधने,
मीरां डोरी गाँठ की..!
एस. एन. प्रजापति
बढ़िया !
धन्यवाद बड़े भाईसाब
बहुत सुन्दर !
धन्यवाद! दीदी
bahut khoob .
धन्यवाद! बड़े भाई साहब