कविता

प्यासी -प्यासी धरती …..

आस लगी है सारी नगरी ,

कब आएगी वर्षा रानी |

इस प्यासी -प्यासी धरती पर,

कब बरसाओगी बूंदा- बूंदी |

मक्खी -मच्छर भिन्न -भिन्न करते ,

गर्मी वाली सता आखरी |

अपनी ताकत दिखा जगत को ,

गायब कर दो धुप सुनहरी |

मन की पीड़ा अब तुम समझो ,

चैन न मिलता इस दुपहरी |

बहा दो अब नदी की धरा ,

ताल – तलैया भर दो सारा |

मेरी बस एक विनती सुनलो ,

उमड़ -घुमड़ बरसा दो पानी |

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

4 thoughts on “प्यासी -प्यासी धरती …..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी सामयिक कविता !

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता .

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad jee

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