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बारिश के रंग , मुंबई के संग

बारिश के रंग , मुंबई के संग

हर बार की तरह
इस बार भी इंद्र देव
मुंबई पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गए
जीब जंतु पशु पक्षी की प्यास
लम्बे अंतराल के बाद शांत हो गयी
तालाब पोखर झील फूल कर
अपने भाग्य पर इतराने लगे
मुंबई बालों को पाने पीने के लिए
अब कटौती नहीं सहन करनी पड़ेगी
हर बार की तरह
इस बार भी लोगो को परेशानी झेलनी पड़ी
कुछ लोग ट्रेन और रस्ते में फँस गए
मुंबई के कुछ आधुनिक इलाकें
हिंदमाता , अंधेरी ,दादर ,परेल , कुर्ला
हर बार की तरह इस बार भी पानी में डूबने लगे
हर बार की तरह में उस दिन
मीडिया बाले चर्चा करके
टी आर पी बटोरने लगे
हर बार की तरह इस बार भी
जो लोग घर पर रहे चटकारे लेकर
ख़बरों का आनंद लेने लगे कि बो बच गए परेशानी से
हर बार की तरह इस बार भी
बी एम सी के लोग
अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की कोशिश करते दिखे
आमची मुंबई के लोग भी
हर बार की तरह परेशान दिखे
करते तो क्या करते
स्थानीय लोगों की पार्टी का ही कब्ज़ा है
बी एम सी पर
काफी समय से
नाराज हों बो भी अपनों से
चलो इस बार कुछ नहीं बोलते हैं
शायद अगले साल
कुछ सुधार देखने को मिले
अगले दिनों का इन्तजार करने लगें

मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

2 thoughts on “बारिश के रंग , मुंबई के संग

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहुत बढ़िया अतुकान्त कविता

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