हायकू
हायकू
[१]
हे प्रियतम
आषाढ़ बरसत
वेदना देत /
[२]
ज्येष्ठ उमस,
तन मन झुलसे ,
विरहण सी /
[३]
अमराई मे
शृंगार करे नित
कूके कोयल /
[४]
नैन आकुल
प्रियतम सनेह
कंपित गात/
[५]
विरहन के
अंगार सेज मन
ये कैसी वर्षा ?
राजकिशोर मिश्र राज
22/06/2015
हाइकु बहुत अछे लगे.
आदरणीय भाई साहब हौसला अफजाई के लिएआभार एवम् नमन
sundar haaiku..
आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद
वाह वाह ! हायकु विधा का बेहतरीन प्रयोग !
आदरणीय जी सादर नमन, आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद
शुक्रिया और धन्यवाद का अर्थ समान होता है.
आदरणीय आभार