हाइकु/सेदोका

हायकू

हायकू
[१]
हे प्रियतम
आषाढ़ बरसत
वेदना देत /
[२]
ज्येष्ठ उमस,
तन मन झुलसे ,
विरहण सी  /
[३]
अमराई मे
शृंगार करे नित
कूके कोयल /
[४]

नैन आकुल
प्रियतम सनेह
कंपित गात/
[५]
विरहन के
अंगार सेज मन
ये कैसी वर्षा ?

राजकिशोर मिश्र राज
22/06/2015

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

8 thoughts on “हायकू

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हाइकु बहुत अछे लगे.

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय भाई साहब हौसला अफजाई के लिएआभार एवम् नमन

  • प्रीति दक्ष

    sundar haaiku..

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! हायकु विधा का बेहतरीन प्रयोग !

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी सादर नमन, आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया एवम् धन्यवाद

      • विजय कुमार सिंघल

        शुक्रिया और धन्यवाद का अर्थ समान होता है.

        • राज किशोर मिश्र 'राज'

          आदरणीय आभार

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