मेरे भोले बाबा
मलमास मे शिव भक्त आज, जल चढ़ा रहे हैं ,
भांग अरू धतूर संग ,फल चढ़ा रहे हैं/
महिमा अमित है उनकी ,स्वीकार कर रहे है/
दिल से लगाकर भक्तों को, वरदान दे रहे हैं/
मेरे भोले बाबा सबको , सम्मान दे रहे हैं/
भक्त अपने भाव की , पहचान कर रहे हैं/
जो भी आया दर पे , न खाली हाथ जाए,
प्रभु रख्खे ख्याल ऐसा , तन मन भी मुस्कुराए/
बिल्ब पत्र जो चढ़ाए ,गंग की नित धार संग,
दे रहे रहे वरदान अनुपम ,भक्ति मय शृंगार संग/
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मेरे भोले भंडारी ने ,
गजब किया शृंगार .
सभी मन-मन मुस्काये
माथे पे चंदा ,
गले मे नाग
जटा मे उलझी गंग
भूत-पिशाच संग ले करके,
भस्म लपेटे अंग,
अजब की छटा
गगन की घटा
खुशी मेघ बरसे मन
देख भोले त्रिपुरारी
— राजकिशोर मिश्र ”राज”
बढ़िया !
आदरणीय जी आपके स्नेह एवम् हौसला अफजाई के लिए ह्रदय तल से कोटिश आभार/
आपकी प्रतिक्रिया का जवाब व्यस्तता के कारण देर से दे रहा हूँ उसके लिए खेद है
आपकी उदारता एवम् स्नेह के लिए सादर नमन /
ऊँ नमः शिवाय श्री राजकिशोर मिश्र जी
आदरणीय जी आपके स्नेह एवम् हौसला अफजाई के लिए ह्रदय तल से कोटिश आभार/
आपकी प्रतिक्रिया का जवाब व्यस्तता के कारण देर से दे रहा हूँ उसके लिए खेद है