धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अखिल विश्व महर्षि दयानन्द के वेद प्रचार से प्रभावित

ओ३म्

सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री का प्रवचन

आर्यजगत के सुप्रसिद्ध विद्वान डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री ने गुरूकुल पौंधा-देहरादून के वार्षिकोत्सव में अपने ओजस्वी व्याख्यान में कहा कि महर्षि दयानन्द ने उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में वैदिक मत का जो प्रचार किया, उस का प्रभाव सारे विश्व पर पड़ा है। युग के देवता की तरह महर्षि दयानन्द ने वेदों का उद्धार किया। उनके द्वारा वेदों के प्रचार से सारी दुनिया में वेदों की दुन्दभि बज गई। देश भर में वेदों का अध्ययन अध्यापन होने लगा। उनके प्रचार अभियान से सारी दुनिया का ध्यान वेदों की ओर गया। हमारा नाम आर्य है, वेद हमारा धर्म ग्रन्थ है, इस देश का प्राचीन नाम आयावत्र्त है, हमारा अभिवादन नमस्ते’ है, इसका उद्घोष महर्षि दयानन्द जी ने किया। यह सब बातें अतीत काल में वेदों ऋषियों द्वारा कहीं गईं थीं जिनका प्रकाश महर्षि दयानन्द द्वारा किया गया। इसी श्रृंखला में महर्षि दयानन्द जी ने कहा कि परमात्मा का निज नाम ओ३म्” है। मैं (डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री) ईश्वर के नाम ओ३म्” पर ही अपने विचार प्रस्तुत करता हूं। चारों वेदों में कहा गया है-ओ३म् खं ब्रह्म।’ नामकरण संसार में भी सन्तान का पिता सोने की श्लाखा को शहद में भिगो कर उससे अपनी सन्तान की जिह्वा पर ओ३म्’ शब्द लिखता है। इसी प्रकार से पिता सन्तान के कान में त्वं वेदोऽसि’ कहता है। यह परम्परा वैदिक धर्म में प्राचीन काल से चली आ रही है। अब विचार कीजिए कि जब बालक बड़ा होगा और उसे अपने इन संस्कारों का ज्ञान होगा तो वह ओ३म्’ नाम व गायत्री मन्त्र’ का जप अवश्य करेगा। वेद सहित समस्त वैदिक साहित्य में ओ३म्’ नाम की चर्चा है। मैंने स्वयं भी दूसरी दृष्टि से विचार किया है, उसे आपके सामने रखता हूं। ओ३म्’ शब्द में तीन अक्षर हैं, , अर्थात् अकार, उकार व मकार हैं। महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के प्रथम समुल्लास में परमात्मा के 108 नामों की व्याख्या प्रस्तुत की है। इसी व्याख्या से प्रभावित होकर एक अन्य वैदिक विद्वान श्री विद्यासागर शास्त्री ने भी ईश्वर के 108 नामों की विस्तृत व्याख्या महर्षि दयानन्द के वचनों को उद्धृत कर उसकी पुष्टि में की है।

ओ३म्’ परमात्मा का एक ऐसा नाम है जो ईश्वर के सबसे अधिक गुणों का वर्णन करता है वा जिसमें ईश्वर के सबसे अधिक गुणों का समावेश है। उन्होंने कहा कि इन्द्र नाम से परमात्मा के ऐश्वर्यशाली होने का पता चलता है, रूद्र नाम से दुष्टों को दुःख देने वाला व रूलाने वाले नाम का तथा विष्णु नाम से ईश्वर के व्यापक होने का बोध होता है। परमात्मा के जितने नाम हैं वह उसके एक-एक गुण को बताते हैं। ओ३म्’ परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ नाम इस लिए है कि यह अकार, उकार व मकार के द्वारा ईश्वर के 9 प्रकार के नामों को बतलानें वाला शब्द है। आपने विस्तृत व्याख्या और विवेचन कर बताया कि ओ३म्’ नाम परमात्मा के 28 नामों को बताता है। संसार की किसी भी भाषा में ईश्वर के 28 नामों को बताने वाला कोई शब्द नहीं है, इसलिये भीओ३म्’ शब्द ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम है। दूसरी मुख्य बात यह है कि ओ३म्’ नाम दुनियां की सभी भाषाओं में ईश्वर के नामों में सबसे सरल सहज है। बहुत सारी विश्व की भाषाओं में बहुत से अक्षर व उनकी ध्वनियां ही नहीं है। इसके उन्होंने अनेक उदाहरण दिये। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में इन्द्र को इन्डर’ कहते हैं तथा कलकत्ता को कलकट्टा’। यदि परमात्मा के अनेक नामों में से किसी नाम में , , आदि अक्षर हों तो दुनियां की उन-उन भाषाओं में ईश्वर के वह-वह नाम शुद्ध रूप से नहीं बोले जा सकेंगे जिसमें नामों में आये वह त-थ-ड आदि अक्षर नहीं हैं।

डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री ने कहा कि दुनिया के भाषा शास्त्रियों का मत है कि संसार की तीन हजार भाषाओं में सबसे सरल सहज शब्द ‘ओ३म्’ नाम है जिसे सभी देशों के बाल, युवा वृद्ध बोल सकते हैं। ‘ओ३म्’ नाम की तीसरी विशेषता यह है कि ‘ओ३म्’ नाम का ‘अ’ अक्षर संसार की प्रायः सभी वर्णमालाओं का प्रथम अक्षर है। विद्वान वक्ता ने अ, उ व म अक्षरों पर संस्कृत व्याकरण के आधार पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इनका महत्व बताया। उन्होंने कहा कि चारों वेद ‘ओ३म्’ नाम की महिमा को बताते हैं, सभी ऋषि, मुनि तपस्वी इसी नाम की चाहना करते रहे हैं तथा सम्पूर्ण वैदिक साहित्य जिसकी महिमा को बताते हैं वह प्राप्तव्य पद नाम ‘ओ३म्’ ही है। ओ३म्’ सिम्बोलिक शब्द है जिसका सबसे पूर्व ईश्वर के लिए प्रयोग हुआ है। यह ओ३म्’ का सिम्बल परमात्मा के लिए है।  यह परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ नाम माना जाता है। इस ‘ओ३म्’ नाम को सभी देशों के बच्चे बूढ़े भी आसानी से बोल सकते हैं। जप की दृष्टि से भी ओ३म्’ का उच्चारण श्रेष्ठ है तथा सभी शास्त्रों का समर्थन इसके पक्ष में है। विद्वान वक्ता ने अपने वक्तव्य को विराम देते हुए कहा कि हम आर्य हैं, हिन्दू नहीं है, हमारा देश आर्यावर्त्त है, हमारा अभिवादननमस्ते’ है तथा हमारा धर्म ग्रन्थ वेद है। इसी प्रकार इसी क्रम में ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम ओ३म्’ है। सभी को ईश्वर के लिए ओ३म्’ नाम का ही प्रयोग करना चाहिये।

प्रस्तुतकर्त्ता: मनमोहन कुमार आर्य

 

2 thoughts on “अखिल विश्व महर्षि दयानन्द के वेद प्रचार से प्रभावित

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख.

    • Man Mohan Kumar Arya

      नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री विजय जी। डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री वैदिक वांग्मय के गंभीर विद्वान है। मैं इनकी पुस्तकों व लेखों को रूचि पूर्वक पढता हूँ। इनके कई प्रवचन भी मैंने वीडिओज़ में सुरक्षित किये हुए है। इनके प्रत्येक प्रवचन में कुछ नया सुनने को मिलता है।

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