कविता

मेरा भारत महान

हमारे इस विशाल विश्व में,

हर देश की अपनी इक शान है ,
अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति है,
अपनी वेशभूषा,अपनी भाषा से पहचान है,
हमारी यह दिव्य भूमि भारत वर्ष, ,
इन सब में सबसे ‘महान’ है,

देवो और ऋषियों का इस धरती पर है वास
जो सभी को स्वीकार्य है सच्चे मन से,
यही है मेरे भारतवर्ष,का दिव्य प्रकाश”,

यहां सत्य है, धर्म है,ज्ञान है,
यहां प्रभु का पूर्ण आशीर्वाद है,
गंगा की धारा में प्यार यहाँ बहता है,
ईश्वर की भक्ति में जन मानस-
तन मन धन से उमड़ा रहता है,
सत्य की खोज में विश्व यहाँ आता है.
गीता और वेदों में अथाह ज्ञान पाता है,
अतिथि हमारे लिए देवता सामान है ,
विश्व में हमारी इसी से पहचान है,

जहाँ अहंकार है वहां अंधकार है ,
यहाँ ज्ञान है यहाँ ज्योति है,
जहाँ द्वेष है वहां क्लेश है–
यहाँ लगन है यहाँ प्रीति है,
जहाँ कुमति है वहां दुर्गति है ,
यहाँ सुमति है यहाँ सम्पति है,

गुरु के चरणों हमारा स्थान है,
गुरु में ही विद्या विद्यमान है,
गुरु से ही ईश्वर की पहचान है,
यही हमारी संस्कृति की शान है,
हिमालय की गोद में हमारा निवास है,
जो सभी को स्वीकार्य सच्चे मन से,
इसी से हमारे भारत वर्ष का दिव्य प्रकाश” है ,

इस दिव्य भूमि कि मर्यादा में हमारी आन है,
मेरा भारत वर्ष ,इस विशाल विश्वकी शान है,

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

3 thoughts on “मेरा भारत महान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    देश महान है लेकिन काश बेइंसाफी भी कम हो जाती .

  • विजय कुमार सिंघल

    मेरा देश महान ! पर देश के अधिकांश लोग बहुत क्षुद्र हैं।

  • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

    बहुत सुन्दर

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