कविता
आज फिर है परेशान भारत माँ का दिल |
बड़ रहे हैं जगह – जगह क्यों कातिल |
कितनी कुर्बानियों से वीरों ने देश आज़ाद कराया था |
कईं माओं ने अपने इकलौते बेटों को भी गँवाया था |
आज फिर भारत माँ की पुकार है यही |
ना हो ज़ाया कुर्बानी किसी वीर की |
फिर कभी ना हो ऐसी खून की होली जिसे देख सबका दिल घबराया था |
घर – घर ना मचे तबाही , फिर ना वो कल दोहराए दोबारा |
उन्नति से आगे बड़ता रहे मेरा भारत देश यूंही लह – लहाए |||
— कामनी गुप्ता