कविता

मेरा दोष क्या है?

यौवन की दहलीज़ पर
कदम रखते हुए
दर्पण में खुद को
निहारती आँखे।

आँखों में कई स्वप्न
अंगड़ाई ले रहे।
छूना है आसमान
स्वयं को ऊँचा उठा कर।

गर्व से छलक आएं
आंसू बूढ़े गालों पर।
जुड़ जाये मेरा नाम
उनके नाम से पहले।

कोई शहजादा आकर
थाम लेगा हाथ।
जिसकी धुंधली आकृति
बन्द पलकों में कैद है।

मगर ये क्या?अँधेरा!
ये हाथ किसके हैं?
दो नहीं,कई हाथ
छोड़ दो मुझे
विफल प्रयास।

सिसकियाँ,दर्द
घुटन और आरोप
कई हृदय में ग्लानि
कोई तो बता दे
मेरा दोष क्या है?

— वैभव दुबे “विशेष”

वैभव दुबे "विशेष"

मैं वैभव दुबे 'विशेष' कवितायेँ व कहानी लिखता हूँ मैं बी.एच.ई.एल. झाँसी में कार्यरत हूँ मैं झाँसी, बबीना में अनेक संगोष्ठी व सम्मेलन में अपना काव्य पाठ करता रहता हूँ।

2 thoughts on “मेरा दोष क्या है?

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • वैभव दुबे "विशेष"

      हृदय से धन्यवाद सर

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