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हाइकु

हाइकु

हाइकु  एक बहुत छोटी जापानी विधा में लिखी जाने वाली कविता है. इसके तीन गुण है

* जिसे हाइकु की जान या मुख्य गुण कहा गया है वह “किरे” , कटाई है (अँग्रेज़िमे cut, जापानिमे kiru या kire) जो दो बिंबो को संमिधि में रखने का काम करता है. जापानी में एक kireji , यह जापानी हाइकु में एक शब्द या मौखिक चिह्न के रूपमे होता है और जो दोनो बिंबो के बीच रहता है वह बिंब बदलने का संकेत देता है.

* पारंपरिक हाइकु  17 वर्ण (जापानी  में on या morea कहते है) का होता है जिसे तीन वाक्यांश में तीन पंक्तियों मे 5 , 7 और 5 वर्ण में लिखा जाता है.

*  ऋतु शब्द (जापानी में  किगो) का होना हाइकु में आवश्यक है यह शब्द एक संग्रह से ही लिया जाता है (जापानी में जिसे साइज की कहते है) हाइकु में प्रकृति मुख्य विषय होता है.

एक हाइकू के दो हिस्से होते हैं पहले हिस्से में एक बिम्ब और दुसरे हिस्से में दूसरा बिम्ब यह तीन पन्क्तियों में व्यक्त किया जाता है

दोनों हिस्सोंके बीच होता है चीरा जो चिह्न के रूपमे होता है (किरेजी, kireji ) . पाठक भाव बदलने पर तुरंत समझ जाता है कि दूसरा बिम्ब शुरू हो रहा है

तीन पन्क्तियों में से दो पंक्तियाँ जुडी हो और एक स्वतंत्र हो. कुल मिला के ऐसे दो हिस्से 5 + 12  या 12 + 5 शब्दांश में , कुल १७ वर्णों में हो.

एक हाइकु के लिए “कइगो (Kigo)” अर्थात “ऋतू शब्द” बहुत अहम होता है

आधुनिक जापानी हाइकु ( गेंदेइ हाइकू )

गेंदेइ मे 17 वर्ण का उपयोग नहीं होता है पर छोटी / बड़ी / छोटी ऐसे तीन  पंक्तियाँ होती है,  पर दो बिंबोका दृश्यका संमिधि मे रखना (अँग्रेज़िमे juxtaposition) बहुत ही अनिवार्य है — दोनो पारंपरिक और आधुनिक हाइकु मे यह समानता है l

*जापानी मे हाइकु ,केवल एक ही पंक्ति में छापा जाता है. हिंदी में तीन पंक्तियों में लिखे जाते है l

हिंदी हाइकु  प्रणाली

*पहले के हाइकु के ज्ञाताओं के अनुसार तीन पंक्ति, तीन भाव लेकिन  पारम्परिक ज्ञाताओं और नए लिखने वालों के अनुसार   तीनों पंक्तियों में से कोई भी दो पंक्ति जुड़ी हुई होनी चाहिए जैसे पं 1 और पं 2 या फिर पं 2 और पं 3 जुड़ी हुई  रहनी चाहिए. जो पंक्ति जुड़ी नहीं है वहाँ kireji या चीरा का चिह्न (- या ; जिसे) से अलग किया जाता है ताकि हाइकु के दो हिस्से अलग से दिखे. हाइकु जो पहले हॉककू के नाम से जाना जाता था, उसे यह नाम मासाओके शिकिने 19वी सदी के अंत में दिया

कीगो (Kigo )

की—-एक ऋतु अर्थात गर्मी सर्दी बरसात में से किसी ऋतु में से बोध हो

गो– शब्द

कीगो–ऋतु शब्द

आम गर्मी

छाता बरसात

रजाई सर्दी

कीगो  एक ऋतु निर्देश होता  है

हाइकु के और दिशा निर्देश

1. पारम्परिक हाइकु सिर्फ प्रकृतिके विषय पे ही होता है

2. हाइकु में बयान या कथन नहीं होते हैं

3. L1, L2 L3 लाइन 1 लाइन 2 और लाइन 3   अर्थात पं 1 , पं  2 , पं 3-पंक्ति क्रमाक 1 , 2 और 3

4. हाइकु में उपमा है अगर आप सन्निधि में चीरे (juxtaposition with kireji)

के साथ दो बिम्ब अलग अलग एक ही हाइकु में इन्हे शिल्प करे तो।

यही अच्छे शिल्पकार हाइकू कवि की खूबी है

5. 5 + 12 या 12 + 5 में ढलनेसे पहले दो दॄष्योंकी

रूप रेखा करले। 5 में एक दृश्य और 12 में दूसरा दृश्य

ऐसे कुल मिलके दो दृश्य अलग अलग लिखे। फिर उन्हें सन्निधिमे (-)चिह्न द्वारा अलग कर साथमे लिखे

5 वाला दृश्य वाक्यांश में हो पर 12 वाला वाक्य में भी हो सकता है।

12 वर्ण का अर्थ यह होता है कि यह दो पंक्तियाँ स्वतंत्र नहीं है , जुडी हुई है ।

12 वर्णोका हिस्सा जब लिखें तब ये ध्यान दें कि वह दो वाक्यांश न हो। एक ही वाक्यांश या तो वा भी हो सकता है।

5 + 12 का अर्थ है एक स्वतंत्र पंक्ति और दूसरी तीनमे से दो पंक्तियाँ जुडी हुई है।

कुल मिल के दो हिस्से

६. हाइकु में मानवीकरण और कल्पना नहीं होती है, वास्तविकता होती है। पर वास्तविकता को 5 इन्द्रियों द्वारा एक क्षण की अनुभिति ही 3 पंक्तियों की यह रचना कराता है।

धरती चाँद नभ सूर्य धारा आदि अगर मानव की तरह कुछ करते दिखेंगे या कोई भी निर्जीव वस्तु या मूक जानवर कोई मानवी की तरह कार्य करे और उस जैसी कल्पना को रचना में दिखलाना मानवीकरण होता है।

7. हाइकु / सेनर्यु में विशेषण और क्रियाविशेषण से क्यों दूर रहना है या उपयोग टालना है ?

पहले 3 पंक्तियाँ और 17 वर्ण सबसे बड़ी चुनौती है तो बिम्ब और भाव को अक्षत रख कर

विशेषण और क्रियाविशेषणको हटाये जा सकते हैं जो गैर जरूरी या अनावश्यक। हो।

दूसरा और महत्त्वपूर्ण बिंदु, इनके उपयोग से देखा गया है कि रचना कहने लगती है दिखती नहीं है

अगर विशेषण और क्रियाविशेषण रचना के लिए बहुत ही जरूरी है, तब ही इसका उपयोग करना है। अगर रचना के बिम्ब या भाव इनके बगैर बहुत बदल जाते है या इनका उपयोग अनिवार्य है तब ही इनका उपयोग उचित होता है ….

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जो लोग लिखना सीखना चाहते हैं , वे लोग इस समूह से जुड़ सकते हैं

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

4 thoughts on “हाइकु

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी जानकारी !

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभारी हूँ भाई

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहन जी , हाइकु के बारे में लिखा बहुत अच्छा लगा . मेरी हिंदी तो सिर्फ बेसिक पंजाबी हिंदी ही है लेकिन मैं आप की रचनाएं पड़ कर समझने की कोशिश करता हूँ .

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभारी हूँ भाई
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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