कविता

मैं ही नारी हूँ……!!!

मैं ही नारी हूँ….
सदियों से मुझ पर बहुत कुछ
लिखा गया, पढ़ा गया….
कहने वालो को भी देखा है मैंने….
सुनने वालो को भी देखा है मैंने…..
सोच में हूँ……….
क्यों मुझे इतना समझने….
समझाने की जरुरत पड़ी है दुनिया को?

क्या मैं अबला हूँ?
क्या मैं मजबूर हूँ?
क्या मैं कमजोर हूँ?
या सिर्फ इसलिए कि…..मैं नारी हूँ….

मैं नही समझ पायी कभी कि,
मैं तो संसार के हर घर में जीतीजागती मौजूद हूँ……
फिर मुझे समझने के लिये लोग घर के बाहर
किताबो को क्यों पढ़ रहे है….?
क्या मैं सिर्फ पढने,लिखने-सुनने का ही
विषय बन कर रह गयी हूँ…..???????

मुझे महान देवी जैसी उपाधि देकर,
कुछ लोग एक दिन महिला दिवस तो मना लेते है,
पर घर में ही मौजूद नारी को ही भूल जाते है……

मैं उन्हें कैसे समझाऊं कि “मैं भी नारी हूँ”
मुझे बड़े-बड़े सम्मान नही,
अपने परिवार का साथ और प्यार चहिये….
मुझे देवी माँ नही सिर्फ “माँ” ही बने रहने दो….
त्याग और  समपर्ण सब मेरे कर्त्तव्य है…
इनके लिये कोई पुरूस्कार रहने दो…..

मैं क्या हूँ?
ये कही बाहर से नही समझना है…
हर घर में मौजूद “मैं ही नारी हूँ”…..
सिर्फ इतना समझना है……

सुषमा कुमारी 

सुषमा कुमारी

शिक्षा-बी.एड.एम.ए.( यु जी सी नेट समाजशास्त्र) कार्य-डिग्रीकॉलेज में प्रवक्ता... जन्मतिथि- २०-०८ -१९८४ पिता-श्री हरी चन्द्र माता- श्रीमती जमुना देवी.... ..... पता-कानपुर मेल-sushma20august@gmail.com ब्लॉग- आहुति ब्लॉगलिंक- sushmaaahuti.blogspot.com संपर्क सूत्र- 9580647382 काव्य संग्रह- अनुगूँज , ह्रदय तारो का स्पंदन ,टूटते तारो की उड़ान , वटवृक्ष परिचय-मेरा परिचय तब तक अधूरा है जब तक मै अपने माता पिता का जिक् ना कर लूँ आज मै जो कुछ भी हूँ इनके ही त्याग और कठिन संघर्ष के कारण ही हूँ इनके ही दिये आर्शीवाद और दिये संस्कारो से ही आज मैने अपनी पहचान बनायी है..!!!!........... रंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं...... फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं.... यूँ ही कुछ लिखते-लिखते इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......!!

One thought on “मैं ही नारी हूँ……!!!

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन कविता !

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