कविता

कविता

जो रखते हैं शुद्ध और ओजस्वी विचार
शब्द भी उनसे करतें हैं प्यार
शब्द भी उनकी लेखनी से निकलने को तरसते हैं
शब्दों के माध्यम से ही उनके विचार —
साहित्य की दुनिया में कभी फूल कभी अंगारे —
बन कर बरसतें है
उनकी शब्दों की कतार में—
चाँद सितारे और आफताब हैं
उनके लेखनी का कमाल लाजवाब है
फूल भी रखतें हैं अभिलाषा—
उनकी मोहक महक इन शब्दों में समां जाये
तारें भी करते हैं यही तम्मना —
उनकी भी चमक इन शब्दों पर छा जाये
शीतल हवा के झरोखे ‘कासिद’ बन जाते हैं–
और ‘कवियों’ के मन के भाव
हम सब तक पहुँच जाते है…

—–जय प्रकाश भाटिया
(‘कासिद’ –सन्देश वाहक)

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    सुंदर कविता

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