कविता

वंदे मातरम् जय हिन्द

वन्दे मातरम 
 
India Indian जो कहना है कहो फिरंगियों के कहने का हमें क्या परवाह
 हमें तो हिंद हिंदी का मान अभिमान हमेशा से रहा और हमेशा रहेगा
 
उड़ाई नींद देश के हालात , जनी चिंता गहराई है
जश्ने आजादी उजड़ी मांग सूनी कोख ने दिलाई है
नहीं सोच पाते मुख पोते स्याही कैसे मिटा पायेंगे
कुछ अपने स्वार्थवश धर्म जाति की राख उड़ाई है
 
जश्ने आजादी ने जलेबी याद दिलाई है 
पापा काश आप लौट सकते 
दुष्टान्न त्यागें
हिन्द मिट्टी का नशा
दुश्मनी भूलें
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टंटा करते 
छिपकली फतिंगा –
पाक हिन्द से 
 
चाहत-बेड़े में साधिकारजो खड़ी होती
किस्मत ,लकिरों से यूँ ना लड़ी होती
तरसते रह गए एक सालिम मिलते
न तपिश औ न असुअन झड़ी होती
 
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हर हिन्दू विवेकानन्द और हर मुस्लिम हो कलाम
हो जाए न कमाल का हिन्द
खूबसूरत सपना है
स्वप्न ही तो हम हिन्दुस्तानियों की ताकत हैजय हिन्द

 
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अंकुर झाँके
जनित्री विहँसती
शिशु दुलारे

 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “वंदे मातरम् जय हिन्द

  • महातम मिश्र

    जय हिंद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      जय हिन्द आदरणीय

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