कविता

यह तिरंगा

यह संगम
गंगा यमुना सरस्वती का
तीनो का सुखद और शांत मिलन
तीनो के मिलन से बना
पावन पुनीत संगम,
तीनो का जल मिल कर एक हो जाता है,
कोई भी अलग अलग इसे पहचान नहीं पाता,
बस एक संगम , एकरस, एक बन जाता है,
जो कोई यहाँ डुबकी लगाता है,
भव सागर तर जाता है,
काश यह तिरंगा भी , हरा सफ़ेद भगवा
अपने तीनो रंगों का ऐसा ही मिलन करदे,
और केवल
बस एक भारतीयता के रंग में रंग जाये,
कोई अलग अलग रंग की पहचान नो हो,
बस देश केवल प्यार और सौहार्द के रंग में रंग जाये,
जय भारत माता , जय हिन्द !

——जय प्रकाश भाटिया
आप सबको स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं,
१५/८/२०१५

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845