गीतिका=हिंद हिन्दी
समांत एँ
पदांत =नित गीतिका
-मापनी -2122 2122 2122 212
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
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हिंद हिन्दी की धरा में हम रचें नित गीतिका
भाव में अनुराग हो कविवर कहें नित गीतिका /१
छन्द भाषा रूप धरकर मापनी में मस्त हो ,
सृजन गाथा नव विधा ले दिल रचें नित गीतिका /२
भाव आलौकिक सदा हो यश बिखेरे नित छटा,
साहित्य रस सींच कर हम भाव दें नित गीतिका/३
पुष्प पे मधुकर रहे कवि के ह्रदयमें छन्द हो,
दिल उमड़ता नित कहे हम भी रचें नित गीतिका/४
ताज नित सर पर रहे शीतल करे कवि का ह्रदय,
ओज अरु उत्साह हो मन भी ल़हें नित गीतिका /५
राज लेखन में सदा यह भाव जागृत हो रहा,
भाव अनुपम सीख लेकर हम रचें नित गीतिका /६
राजकिशोर मिश्र”राज”
18/08/2015