गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका=हिंद हिन्दी

समांत एँ
पदांत =नित गीतिका
-मापनी -2122 2122 2122 212
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
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हिंद हिन्दी की धरा में हम रचें नित गीतिका
भाव में अनुराग हो कविवर कहें नित गीतिका /१

छन्द भाषा रूप धरकर मापनी में मस्त हो ,
सृजन गाथा नव विधा ले दिल रचें नित गीतिका /२

भाव आलौकिक सदा हो यश बिखेरे नित छटा,
साहित्य रस सींच कर हम भाव दें नित गीतिका/३

पुष्प पे मधुकर रहे कवि के ह्रदयमें छन्द हो,
दिल उमड़ता नित कहे हम भी रचें नित गीतिका/४

ताज नित सर पर रहे शीतल करे कवि का ह्रदय,
ओज अरु उत्साह हो मन भी ल़हें नित गीतिका /५

राज लेखन में सदा यह भाव जागृत हो रहा,
भाव अनुपम सीख लेकर हम रचें नित गीतिका /६

राजकिशोर मिश्र”राज”
18/08/2015

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि