गीत/नवगीत

स्वीकार नहीं

जहां पुष्प हृदय समर्पित न हो, वो वन्दन स्वीकार नहीं

जिसमें मीरा सी भक्ति न हो, वो चन्दन स्वीकार नहीं

 

स्वागत हो सम्मान नहीं जहां, अपनों सा हो मान नहीं

जहां प्रेम की अभिव्यक्ति न हो, वो अभिनन्दन स्वीकार नहीं

 

हृदय लगा कर तो कुछ लोग, वार पीठ पर करते हैं

फिर अश्रु बहाते नीर के जैसे, प्रेम बहुत ही करते हैं

 

जो हो घड़ियाली आंसू वाला, वो क्रंदन स्वीकार नहीं

जहां प्रेम की अभिव्यक्ति न हो, वो अभिनन्दन स्वीकार नहीं

 

दिया बिछौना मखमल का औ, कलियों की लड़ी सजाई है

फिर पूछने लौट के आये नहीं, कि कैसे रात बिताई है

 

अपनत्व की जब अनुभूति न हो, वो आलिंगन स्वीकार नहीं

जहां प्रेम की अभिव्यक्ति न हो, वो अभिनन्दन स्वीकार नही

 

कहा झुकाओ सर अपना, दौलत के तराजू में तोलूँ

कहता हूँ बस बात एक ही, इससे ज्यादा क्या बोलूं

 

जो हाथ फैला कर मिलता हो, वो कुंदन भी स्वीकार नहीं

जहां प्रेम की अभिव्यक्ति न हो, वो अभिनन्दन स्वीकार नहीं

 

वैभव दुबे "विशेष"

मैं वैभव दुबे 'विशेष' कवितायेँ व कहानी लिखता हूँ मैं बी.एच.ई.एल. झाँसी में कार्यरत हूँ मैं झाँसी, बबीना में अनेक संगोष्ठी व सम्मेलन में अपना काव्य पाठ करता रहता हूँ।