जनतंत्र भवन
हिन्दू का ताना
हिदुस्तान का बाना
मानवीयता का जिस्म बन
बनाया जनतंत्र भवन।
भौतिकता – विज्ञान के युग में
सुख – सुविधाएं बढ़ रहीं
देख रिश्तों के टुकड़े
वृद्धा आश्रम खुल रहें ।
भ्रष्टाचार की आँधी में
ईमान की नाव डोल रही
मिलावट की बाढ़ में
इंनासनीयत डूब रही।
तार गाथा गायब हुई
ई – मेंल , मोबाइल जमाने के क्या कहने
सूचनाओं का पिटारा वाइरल हुआ
फेस बुक व्हाट्स एप जन – मन को भाया ।
ढीली हुई जनतंत्र की चूलें
जो विराजे कुर्सी पे
गाए अपने यशोगान
कथनी करनी न माने ।
तकनीकी – प्रौद्यौगिकी ने
बनाया विश्व एक परिवार
मंगल यान बना के
भारत ने गौरव पाया।
आधी आबादी का आकाश
फैला नारी शक्ति का प्रकाश
झंडे गाढ़ रही साइना , सानिया , मेरी कॉम
नहीं रहेंगी अब अन्याय , शोषण की कारा ।
घूम रहे पलकों में स्वप्न संसार
झांके उन अतीत के पन्नों में
वैभव बुद्ध , अशोक की अहिंसा
नैतिक मूल्यों का जनतंत्र ।
जागो ! ऊर्जावान भारतवासी
मानवीय मूल्यों की शिला पर
अभिलेखों से लिख शान्ति दूत भारत
महकेगा सत्यं – शिवं सुंदरम का जनतंत्र।
— मंजु गुप्ता
सुंदर रचना