कविता

सभ्य लोग

मेरे आस-पास बड़े सभ्य लोग रहते हैं.

जो-देश के उत्थान-जंग में कभी नहीं कूदते,
जो किसी के चिरे पर कभी नहीं ………
कर्तव्य के लिए जागरूक ना सही,लेकिन
भाई का हिस्सा हड़पने से नहीं चूकते.
भाई कि छोडिये साहब,
माँ-बाप कि भावनाओं को ठेस लगाने से ही नहीं,
अनाधिकृत पाने के लिए,
किसी का गला रेंतने से भी नहीं चूकते.
संस्कार कि बात उन्हें बहती नहीं,
कुत्सित-विचार,पाश्चात्य-सभ्यता पर नहीं थूकते.
झूट के आवरण से सजे-धजे……
मेरे आस-पास बड़े ही सभ्य लोग रहते हैं.
पूर्णिमा शर्मा 

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !

2 thoughts on “सभ्य लोग

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    समसामयिक रचना |

    • पूर्णिमा शर्मा

      आभार शशि शर्मा “ख़ुशी ” जी

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