मुक्तक/दोहा

दोहे

छाया को देता नहीं, कण्टक वृक्ष खजूर।
जो हैं कुटिल स्वभाव के, रहना उनसे दूर।१।

करते सदा परोक्ष में, इज्जत पर जो वार।
जब होते वो सामने, तब करते मनुहार।२।

ज्यादा मीठे बोल में, होती झूठी प्रीत।
ऐसे लोगों से सदा, करो किनारा मीत।३।

मिलते हैं संसार में, पग-पग पर आघात।
जाँच-परख कर कीजिए, साझा मन की बात।४।

छल-फरेब का जगत में, बिछा हुआ है जाल।
पानी वाले दूध में, आता खूब उबाल।५।

छोटी-छोटी बात पर, होना नहीं अधीर।
हरदम रहना चाहिए, धीर और गम्भीर।६।

चरैवेति सिद्धान्त का, रखना हरदम ख्याल।
जिनमें नहीं प्रवाह है, सड़ जाते वो ताल।७।

अभिमानी गिरि पर बहुत, आते हैं भूचाल।
थमे हुए जल में सदा, बन जाते शैवाल।८।

धन-दौलत को पाय कर, मत करना अभिमान।
घर आये मेहमान का, करना मन से मान।९।

कभी न करना कहीं भी, कोई लूट-खसोट
नीयत में लाना नहीं, अपनी कोई खोट।१०।

दगाबाज-मक्कार का, रहता खाली हाथ।
श्रम से अर्जित द्रव्य ही, सदा निभाता साथ।११।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

*डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। 2011 में "सुख का सूरज", "धरा के रंग", "हँसता गाता बचपन" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। सम्प्रति इस वर्ष मुझे हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना के द्वारा 2010 के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार के रूप में हिन्दी दिवस नई दिल्ली में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया है▬ सम्प्रति-अप्रैल 2016 में मेरी दोहावली की दो पुस्तकें "खिली रूप की धूप" और "कदम-कदम पर घास" भी प्रकाशित हुई हैं। -- मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है

2 thoughts on “दोहे

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    एक से बढ़ कर एक सुंदर दोहे आदरणीय

  • Kavi Mayank Poet

    आपका आभार

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