कहीं कहीं
कहीं-कहीं हवा बहीं, कहीं-कहीं घटा छाईं,
कहीं-कहीं फुहारों की गजब सी छटा चली।
कहीं-कहीं गगन में, बादलों की घटा छाईं,
कहीं-कहीं उसे देख उमंग भरी छटा चली।
कहीं-कहीं खेतों में हरियाली की घटा छाईं,
कहीं-कहीं फसलों में लहरों की छटा चली।
कहीं-कहीं किसानों में खुशियों की घटा छाईं
कहीं-कहीं खेतों में औजारों की छटा चली।
रमेश कुमार सिंह
२४-०७-२०१५