हमारे पाप धोती थी
हमारे पाप धोती थी
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हमारे पाप धोती थी
स्वयं शापित हुई है वो
कभी जो पावन करती थी
अभी दूषित हुई है वो
वो पावन निर्मल गंगाजल
करती पावन घर आँगन
उसे दूषित किया तुमने
अब तो करो कर्तव्य का पालन
लहरे कह रहीं हैं थककर
कीचड़ मत उछालो
चल चल कर थक गई हूँ
अब तो मुझे सम्हालो
ये कैसा धर्म अपनाया
कीचड माँ पर फेंकते हो
किसने तुमको सिखलाया
माँ को रुग्ण करते हो
यह सत्य है मैं माँ हूँ
फिर भी कितना सहूंगी
तुमपर कोई आंच न आए
इसलिए तुझसे ही तो कहूंगी
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©कॉपीराइट किरण सिंह
बहुत खूब !
हार्दिक आभार