उस बात की बात ना कर….
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर।
मेरे सपनों की खातिर, काली अपनी रात ना कर॥
हम तो आंसू के धारे, पीकर मुस्काने वालें है।
तू अपनी खुशियों को तन्हा, यूं बे बात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर….
ये उल्फत की बातें, हमको भी लुभातीं है।
बरबाद हो हम फिर से, ऐसे हालात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर….
हर बात को सह लेना, तासीर हमारी है।
पर दिल जो सह ना सके, कोई ऐसी बात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर…
कुछ टूटे टुकडों को, बस हमने सहेजा है।
टुकडों पर टुकडों की, अब तू बरसात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर….
लब की मुस्काहट ही, बस एक तसल्ली है।
आंखों मैं झांक के यूं, बेबात ये बात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर……
मैं गम का समंदर हूं, मत डूब सनम मुझमें।
पहले से ही छलका हूं, तूं यूं बरसात ना कर॥
जो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर…..
सतीश बंसल
उम्दा सोच
प्रेरक रचना
शुक्रिया विभा जी…