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आईना बोलता है

सरकारी तंत्र अपनी उपलब्धियाँ और अर्थशास्त्री अपनी विवेचना हमें आँकड़ों के सहारे समझाते हैं। जैस आज के समाचार पत्र कह रहे हैं कि थोक महँगाई की दर शून्य से नीचे हो गयी है, अर्थात, वस्तुओं के दाम घटने लगे हैं।

यह सच हो सकता है यदि आप महँगाई के ग्राफ को सर के बल खड़े हो कर देखें । शीर्ष आसन भी हो जाएगा और आत्म संतुष्टि भी।

वैसे, आँकड़ों के बारे में हमारे गुरू एक मजेदार तथ्य बताया करते थे। वो यह कि, यदि आपके पैर बर्फ की सिल्ली में दबे हों और सर चूल्हे में हों तो, औसतन आप कुशल से हैं।

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।

2 thoughts on “आईना बोलता है

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    व्यंग अच्छा लगा

  • हा हा ,मनोज जी आप के गुरु जी की बात पड़ कर हंसी आ गई लेकिन जो आंकड़ों की बात आप ने लिखी वोह जहां भी वैसी ही है . हम भी पैर बर्फ में और सर चूल्हे में ले कर बैठे हैं . हमारे एक अधियापक विद्या परकाश जी एक चुटकला सुनाया करते थे , एक लड़का नया नया किसी शहर से पड़ कर घर आया . माँ ने चाय बना कर तीन पियालिओं में डाल दी .बेटा जो पड़ा हुआ था बोला , माँ ! एक पियाली रहने देना किओंकि मैंने पड़ाई की हुई है कि नंबर वन प्लस नंबर टू इज एकूअल टू थ्री . माँ ने बहुत समझाया लेकिन बेटा जिद पर था .तंग आ कर पिता बोला ,तो ऐसे कर बेटा ! यह नंबर वन मैं ले लेता हूँ और यह नंबर टू तेरी माँ ले लेगी और प्लस टू तू ले लेना .

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