कवितापद्य साहित्य

सुनो एक राजा की कहानी !(काल्पनिक )

 

गणतंत्र का महिमा है, कोई भी लड़े चुनाव

फ़क़ीर बन गए राजा, जीतकर आम चुनाव|

आनंद विभोर भये राजा, ख़ुशी न समाया दिल में

चमचे डूबे मदिरा में, डूबे राजा जीत के नशे में|

चमचों ने की जय जयकार, गद-गद हुए राजा जी

लुटाकर धन साहूकारों का, चुनाव जीते राजा जी|

हीरे-मोती, सोना-चाँदी, थे सब रत्नों का अम्बार

जवाहरातों से भरा पड़ा था, सरकारी सब भंडार|

रत्नों का चमक देख, राजा जी खूब बौरा गए

एक चोर चुपके से, राजा के मन में बस गए|

सोचने लगे जनता के राजा, कैसे मारे सेंध

राज खजाने में प्रवेश, राजा को भी था निषेध|

मंत्री, संत्री, खजांची का, लगाया राज दरबार

पूछा सबसे, “बेकार रत्न-भण्डार का क्या दरकार?”

“रत्न, जवाहरात, सोना, चाँदी बेचकर धन जुटाओ

जन कल्याण के काम में, वो सब धन लगाओ|

वादा जो किया है जनता से, उसे पूरा करना है

अगला चुनाव जब भी हो, उसे हमें जितना है|

खाद्य द्रव्य की कीमत पर, मजबूत अंकुश लगाओ

पेट्रोल, डीज़ल, गैस की कीमत, घटाते बढ़ाते जाओ|

देश अपना, पार्टी अपनी, अपनी नीति लगाओ

हमारे हितैषी के हित में, सभी  कानून बनाओ|

अपना देश बहुत बड़ा, जनता का दिल भी बड़ा है

छोटे-मोटे घपले तो होते है, उससे क्या घबराना है|

जनता की चिंता मत करो, उनकी स्मृति कमज़ोर है

थोड़ी देर करती उठा-पटक, पर जल्दी शांत हो जाती है|

मीडिया पर ध्यान रखो, राई का पहाड़ बनाती है|

रातो रात रंक को राजा, राजा को रंक बनाती है|”

पाकर राज आज्ञा सब, मंत्री, संत्री, बहुत खुश हुए

औने-पौने दामों में, सोने-चाँदी के भण्डार बेच दिए|

बिक गए मोती माणिक्य सब, खाली सरकारी भंडार

खरीदने वाले और कोई नहीं, थे सब राजाजी के नौकर|

 

 

© कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !