गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा)

ग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा)

वक़्त की साजिश समझ कर, सब्र करना सीखियें
दर्द से ग़मगीन वक़्त यूँ ही गुजर जाता है

जीने का नजरिया तो, मालूम है उसी को वस
अपना गम भुलाकर जो हमेशा मुस्कराता है

अरमानों के सागर में ,छिपे चाहत के मोती को
बेगानों की दुनिया में ,कोई अकेला जान पाता है

शरीफों की शरारत का नजारा हमने देखा है
मिलाता जिनसे नजरें है ,उसी का दिल चुराता है

ना जाने कितनी यादों के तोहफे हमको दे डाले
खुदा जैसा ही वह होगा ,जो दे के भूल जाता है

मर्ज ऐ इश्क में बाज़ी लगती हाथ उसके है
दलीलों की कसौटी के ,जो जितने पार जाता है

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

2 thoughts on “ग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा)

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

  • बहुत अच्छी ग़ज़ल .

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