चलो गुनगुना कर के हम देख लें…
चलो गुनगुनां कर के हम देख लें।
कोई गीत गाकर के हम देख लें॥
बहुत पी चुके आंसुओ की नमी।
चलो मुस्कुरा कर के हम देख लें॥
जरा खोल कर पंख उडलें चलो।
खुदी आजमा कर के हम देख लें॥
बहुत दाग नाकामियों के है सर।
ये तोहमत मिटाकर के हम देख ले॥
बहे हैं बहुत संग धारा के हम।
अलग राह जाकर के हम देख लें॥
मिलाते रहे उनकी बातों में हां।
कुछ अपनी मनाकर के हम देख ले॥
अंधेरी गुजारी हैं रातें बहुत।
नया चांद लाकर के हम देख लें॥
सतीश बंसल
उम्दा