गीतिका/ग़ज़ल

चलो गुनगुना कर के हम देख लें…

चलो गुनगुनां कर के हम देख लें।
कोई गीत गाकर के हम देख लें॥

बहुत पी चुके आंसुओ की नमी।
चलो मुस्कुरा कर के हम देख लें॥

जरा खोल कर पंख उडलें चलो।
खुदी आजमा कर के हम देख लें॥

बहुत दाग नाकामियों के है सर।
ये तोहमत मिटाकर के हम देख ले॥

बहे हैं बहुत संग धारा के हम।
अलग राह जाकर के हम देख लें॥

मिलाते रहे उनकी बातों में हां।
कुछ अपनी मनाकर के हम देख ले॥

अंधेरी गुजारी हैं रातें बहुत।
नया चांद लाकर के हम देख लें॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “चलो गुनगुना कर के हम देख लें…

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    उम्दा

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