मिला मैं आज जब उससे….
मिला जब आज मैं उस से, बहुत बेजार रोई वो।
मेरे कांधे पे सर रखकर, सरे बाजार रोई वो॥
बिखरते थे कभी गुल, जिसके हंसने ली अदाओं से।
भरे आंसू निगाहों में, बहुत लाचार रोई वो॥
बताती थी ज़माने को, जो अक्सर प्यार की महिमा।
लुटी जब प्यार में खुद ही, दहाडे मार रोई वो॥
उछलती खेलती थी, घर के आंगन में जो हिरनी सी।
लिये हर सांस में, बस दर्द का किरदार रोई वो॥
दुलारी थी बहुत मां बाप की, भाई की जान थी।
कर कर के याद अपना, परिवार रोई वो॥
अभी तो ज़िन्दगी की राह में, कुछ पग चली थी बस।
लुटा कर सारी उम्मीदें, कर हाहाकार रोई वो॥
लगी रूकने मेरी धडकन, आह बरबस ही निकल पडी।
बता कर जब उसी को, अपना पहला प्यार रोई वो॥
सतीश बंसल
लाजवाब!!